यारोँ के संग, निकले एक सफर पे
ना सुध किसीको, बेखबर हरकोई...
राह मिल गयी, सफर गया बन
मिलने मंज़िल को, थे तैयार हम...
ख़ामोशी के बादलों को करके परे
शोर भरे रास्तों से भी ना डरे...
सवार होके मुकद्दर कि क़श्ती में
अनकहे बस गए दोस्ती की बस्ती में...
अंधेरों को भी सुर लग रहा था
रौशनी का सवेरा अब दूर लग रहा था...
सन्नाटे की इस खुशबु से होकर रूबरू
यादों की फरियादों का था दौर शुरू...
मदहोश हरकोई, धुन बजाये अपनी
यारों के संग रात सजाये अपनी...
फिर होगी वो सुबह, कहानी एक नयी
लफ़्ज़ों के तले बातें अनकही...
Image : https://instagram.com/guptakaushal/ |
क्या खूब सफर रहा होगा आपक। हो सके तो हमें भी ले चलना अगली बार।
ReplyDeleteहमारी पूरी जिंदगी एक सफर की तरह है, आपको बस इस सफर पर निकलने की देरी है...
DeleteNicely worded! I enjoyed your blog and wish you luck for your future work! Great going!
ReplyDeleteAmreen Shaikh
Thank you Amreen for appreciating the work and more importantly taking out time to read the my blog :)
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